उन्होंने कहा, "प्रजातंत्र में जनता मालिक होती है। जनता ने अपना फैसला दे दिया। वे बहुत उछल रहे थे। अब बाहर में ऐसे ही उछलने का कोई मतलब नहीं रहता। इसी तरीके से उछलते रहते हैं।"
स्मार्ट मीटर को लेकर विपक्ष के बिहार विधानसभा में हंगामा से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर में क्या प्रॉब्लम है? बिजली जला रहे हैं तो बिल का भुगतान होना चाहिए। स्मार्ट मीटर वही है। आप जितना चार्ज करिए, उतना बिजली जलाइए, उतना भुगतान कीजिए। इसमें समस्या कहां है।
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष स्मार्ट मीटर को लेकर सरकार को घेरती रही है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि स्मार्ट मीटर से लोगों का बिल अनाप-शनाप आ रहा है। लोग स्मार्ट मीटर से परेशान हैं। पहले भी हम कह चुके हैं कि पूरे देश में बिहार में सबसे महंगी बिजली मिलती है, हम लोगों की सरकार बनेगी तो 200 यूनिट फ्री बिजली देंगे।
वक्फ संशोधन बिल को लेकर तेजस्वी यादव के लगातार सवाल उठाने पर केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि उनको कहने और ना कहने से कोई मतलब नहीं है। इसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) देख रही है, जो रिपोर्ट आएगी, उसे देखा जाएगा।
वहीं, इस मुद्दे पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख और सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कांग्रेस के लोग हार से बौखला गए हैं। इस कारण जो मर्जी बोल रहे हैं। लेकिन, इस तरह की भाषा का प्रयोग राजनीति में लोग करें, यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। आलोचना किसी की कर सकते हैं। लेकिन, इस तरह की भाषा, शब्दों का इस्तेमाल कहीं से उचित नहीं है।
स्मार्ट मीटर को लेकर महागठबंधन के नेताओं के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग हैं, जो मर्जी करते रहते हैं। लेकिन, सरकार इस विषय को देख रही है।
विपक्ष के 'वक्फ संशोधन बिल' पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी पर सवाल पूछे जाने पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जो भी यह लोग कह रहे हैं, उनका अपना मतलब है। लेकिन, जब तक जेपीसी की रिपोर्ट नहीं आ जाती है, कोई टिप्पणी करना संभव नहीं।
उन्होंने अजमेर दरगाह के मुद्दे पर कहा कि वहां की सरकार देख रही है। हर चीजों पर टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के भारतीय क्रिकेट टीम के पाकिस्तान में खेलने जाने के समर्थन से जुड़े प्रश्न पर कुशवाहा ने कहा कि तेजस्वी यादव को विदेश नीति समझ में आए तब उनको कुछ टिप्पणी करनी चाहिए। विदेश में कहां कब जाना है, किस देश के साथ किस तरह का संबंध रखना है, यह काम भारत सरकार का है। हमारे प्रधानमंत्री इसके लिए सक्षम हैं, किसी की राय की जरूरत नहीं है।