
अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा, "महाकुंभ में हमारे अपने लोग मारे गए हैं, लेकिन सरकार सही आंकड़ा नहीं बता रही है। उन्होंने कहा कि कुंभ पहली बार नहीं हो रहा, बल्कि कुंभ का आयोजन सदियों से चला आ रहा है। इस सरकार ने कहा था कि हमने 100 करोड़ लोगों के आने का इंतजाम किया है। लेकिन ये व्यवस्था देने में असफल रहे।"
अखिलेश ने महाकुंभ भगदड़ का जिक्र करते हुए आगे कहा, "सरकार लगातार बजट के आंकड़े दे रही है। लेकिन इन आंकड़ों को देने के पहले उसे महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी देना चाहिए। मैं मांग करता हूं कि महाकुंभ की व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। महाकुंभ आपदा प्रबंधन और खोया-पाया केंद्र की जिम्मेदारी सेना को दी जाए। महाकुंभ हादसे में हुई मौतों, घायलों के इलाज, दवाइयों, डॉक्टरों, भोजन, पानी, परिवहन की उपलब्धता के आंकड़े संसद में पेश किए जाएं। महाकुंभ त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई हो और सच्चाई छिपाने वालों को सजा मिले। हम डबल इंजन सरकार से पूछते हैं कि अगर कोई दोष नहीं था, तो आंकड़े क्यों दबाए गए, छिपाए गए और मिटाए गए?"
उन्होंने आगे कहा, "जब पता चला कि कुछ लोगों की जान चली गई है, उनके शव शवगृह और अस्पताल में पड़े हैं, इसके बावजूद सरकार ने सरकारी हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की। यह कैसी सनातनी परंपरा है? भगवान जानें कितने चप्पल, कपड़े और साड़ियां पड़ी थीं और उन सबको जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर ट्रॉली से उठवाया गया। कोई नहीं जानता कि उन्हें कहां फेंका गया। सपा नेता ने कहा कि कुछ दबाव और कुछ मीठा भी दिया जा रहा है, ताकि उनकी खबर बाहर न आए।"
अखिलेश यादव ने सीएम योगी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ भदगड़ पर उत्तर प्रदेश के सीएम ने शोक प्रकट नहीं किया था। जब देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शोक प्रकट किया, तो उसके 17 घंटे के बाद यूपी सरकार ने घटना को स्वीकार किया। ये वो लोग हैं, जो आज भी सच्चाई को स्वीकार नहीं कर सकते।
लोकसभा में अपने संबोधन के बाद अखिलेश यादव ने मीडिया से भी बातचीत की। उन्होंने कहा, "सरकार ने कहा कि डिजिटल महाकुंभ में सीसीटीवी लगाए गए और सुनने में तो ये आ रहा है कि कैमरे में जो टेक्नोलॉजी थी, वो एआई पर आधारित थी। अगर हम उस पर भी सवाल न पूछें, तो भी सरकार को सब पता होगा।"
उन्होंने कहा, "यह भी बताया जा रहा है कि संगम नोज पर हादसे के दौरान 16 हजार से अधिक मोबाइल नेटवर्क में थे। जब इस तरह के आंकड़ें बताए जा रहे हैं, तो सरकार लाशों का आंकड़ा क्यों नहीं दे रही है। अगर भीड़ ज्यादा थी, तो सेना के परिसर में लोगों को जगह क्यों नहीं दी गई? वह जानकारी नहीं देना चाहते हैं, अगर कोई जानकारी देगा, तो उस पर एफआईआर हो जाएगी।"
अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर में होने वाले उपचुनाव पर कहा, "मिल्कीपुर में भाजपा नई बेईमानी करेगी। वहां की जनता हमें मिलकर जिताना चाहती है, लेकिन भाजपा हर बार बेईमानी का नया तरीका निकालती है। मुझे याद है कि जो लोग मर गए हैं और जिनके वोट डिलीट हो गए हैं। उसको लेकर हमने इलेक्शन कमीशन से शिकायत की थी, लेकिन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।"